Sunday, May 8, 2016

तुम होतीं तो ऐसा होता तुम होतीं तो वैसा होता.

तुम होतीं तो ऐसा होता तुम होतीं तो वैसा होता.


तुम मेरी गलतियों पर मुझे प्यार से झिंडकती और मैं हंस कर टाल जाता

तुम पापा से मेरी गलतियां छुपा लेती और मैं इस लाड़ पर इतरा उठता

तुम देर रात अकेले खाना खा रही होती और मैं तुम्हारे साथ बैठ कर मोहल्ले की ख़बरें सुना रहा होता

तुम मेरे बचपन की शैतानियाँ याद करतीं और खुश होतीं, और मेरी आज की बातों पर ठहठहा कर हंस पड़ती

माँ होतीं तो ऐसा होता, माँ होतीं तो वैसा होता.

बहुत सी कही दोहरा सकता, और अनकही सुना सकता.

माँ होतीं तो ऐसा होता, माँ होतीं तो वैसा होता.

मैं तुम्हे मौसियों और मामा के घर पूरी शान से ले जाता

तुम्हें कभी उनसे उन्नीस होने का एहसास न होने देता

तुम मेरी उपलब्धियों पर खुश होतीं

और मुझे सदा खुश रहने का आशीष देती

माँ होतीं तो ऐसा होता, माँ होतीं तो वैसा होता.

माँ होतीं तो अपनी सारी छोटी बड़ी गलतियां मान लेता

माँ होतीं तो मन में कोई अहंकार न आने पाता,

माँ होतीं तो उनसे पूछ सकता, कि जो होता है वो क्यों होता है

माँ होतीं तो उनके दामन में फूट फूट कर रो सकता

माँ होतीं तो ऐसा होता, माँ होतीं तो वैसा होता.